विदेशियों को भी लुभाते हैं काशी के मनमोहक घाट





दीपक तिवारी

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर के एक बार दर्शन करने और पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां दर्शन करने आदिशंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद गोस्वामी तुलसीदास जी जैसे आध्यात्मिक महापुरुषों का आगमन हुआ है। गंगाजी के किनारे स्थित पवित्र घाट भारतीयों के अलावा विदेशियों को भी लुभाते हैं।

वरुणा तथा अस्सी नदियों के बीच बसे क्षेत्र को काशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि काशी का प्रलयकाल में भी लोप नहीं होता है। प्रलय काल के दौरान भोलेनाथ काशी को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि उत्पन्न होने पर नीचे उतार देते हैं। यह वह स्थान है जहां भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने के लिए तपस्या करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया था और फिर उनके नाभि कमल से ब्रह्माजी उत्पन्न हुए थे, जिन्होंने सारे संसार की रचना की। काशी की महिमा ऐसी है कि यहां प्राण छोड़ने से ही मुक्ति मिल जाती है। भगवान शंकर यहां मरने वाले प्रत्येक इंसान के कान में तारक मंत्र फूंकते हैं जिससे उसे जन्म मृत्यु के आवागमन से छुटकारा मिल जाता है। मरते समय काशी नाम का उच्चारण करने से विष्णु लोक की प्राप्ति संभव हो जाती है।