कोरोना संकट में शिक्षा को तकनीक से जोड़कर देश को संकट से निकाल सकते हैं: लोकेश कुमार

शिक्षा में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की आवश्यकता: डॉ.ऋतु पाण्डेय शर्मा , संपादक बीईंग माइंडफुल 

 

सागर। डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के टीचिंग लर्निंग सेंटर एवं राज्य शिक्षा केंद्र, भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय राज्य स्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय “कोरोना संकट काल में अकादमिक गतिविधियाँ एवं चुनौतियाँ  : एक चिन्तन” था। इस वेबिनार में मध्यप्रदेश के सभी जिलों की डाइट, शिक्षा महाविद्यालय, प्रगत शिक्षा अध्ययन केंद्र, संभाग के शिक्षा अधिकारी, परियोजना अधिकारी एवं राज्य शिक्षा केंद्र के शैक्षिक प्रशासक सम्मिलित हुए।

 

वेबिनार के उद्घाटन सत्र में सागर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरपी तिवारी  ने कहा कि यह वेबिनार अंतर-संस्थागत मॉडल का बेहतरीन उदाहरण है। विद्यार्थियों कि पढाई का नुकसान ऑनलाइन माध्यम से करने कि आवश्यकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा में सीखने के चार क्षेत्रों की  पहचान की गई है जो वर्तमान में  मूक्स का ही एक प्रतिरूप है, तकनीक और शिक्षा का रिश्ता प्राचीन है।

 

लोकेश कुमार जाटव, आयुक्त, राज्य शिक्षा केंद्र, भोपाल ने अपने उद्बोधन में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा की जा रही शिक्षा विषयक तैयारियों के बारे में बताया। प्रगतिशील विचार ही शिक्षा में परिवर्तन कर सकता है, केवल चौक-डस्टर से अब शिक्षा संभव नहीं है। आज कोरोना संकट काल में हमें शिक्षा में तकनीक के साथ जुड़ने की आवश्यकता है, ऐसा करके ही हम देश को इस संकट से उभार सकते हैं। कोरोना संकट को अवसर में बदलने कि जरूरत थी।

 

वेबिनार के प्रथम सत्र में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, नई दिल्ली के प्रो. चंद्रभूषण शर्मा ने “ कोरोना काल में विद्यालय एवं शिक्षक कि भूमिका” विषय पर बोलते हुए बताया कि ज्ञान के निर्माण के बजाय ज्ञान सामग्री का वितरण आवश्यक है, ऑनलाइन सामग्री कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध है।  शिक्षक इन सामग्रियों कि पहचान कर बच्चों को उपलब्ध कराए

टाटा समाजविज्ञान संस्थान के प्रो. अजय कुमार सिंह ने बदलते हुए परिदृश्य में ज्ञान की अवधारणा, संरचना एवं प्रक्रिया में हो रहे बदलाव को रेखांकित किया, उन्होंने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा सिर्फ तकनीक नहीं है बल्कि अपने आप में विषयवस्तु  भी है।  वर्तमान में लर्निंग आउटकम को दुबारा समझने की आवश्यकता है।

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य  डॉ. ज्ञानेश कुमार, कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य विषय पर बोलते हुए बताया कि मानवता के समक्ष अब नई चुनौतिया आ रही है , जिसके लिए हमारे विद्यालय एवं शिक्षकों को तैयार रहना होगा. शिक्षा नीतिकारों को अब व्यापक तरीके से सोचना होगा, शिक्षक के साथ साथ, परिवार, बच्चे के ही स्वास्थ्य की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सहकर्मी और समाज की  भी जिम्मेदारी है।

प्रथम  सत्र के अंतिम व्याख्यान में शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार के अजय कुमार चौबे ने बताया कि हमारा ध्यान सिर्क पाठ्यक्रम पूरा करने पर नागी होना चाहिए बल्कि यह एक ऐसा समय है जब हम बच्चों को मानव सभ्यता एवं सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि मध्यम एवं उच्च वर्ग का सारा ध्यान इस कोरोना काल को खाली समय के रूप में व्यतीत करने में है जबकि गरीब, मजदूर एवं किसान के लिए यह उसके अस्तित्व के संकट के साथ जुड़ा है। इस सत्र का संचालन डॉ. संजय शर्मा ने किया तथा आभार अतुल नायक ने ज्ञापित किया।

 

दोपहर बाद के सत्र में डॉ. रितु पाण्डेय शर्मा , संपादक, बीईंग माइंडफुल ने कोरोना काल में मनोवैज्ञानिक एवं भावात्मक देखभाल विषय पर बोलते हुए बताया कि यह संकट मानवता के इतिहास में अनोखा है , सम्पूर्ण मानवता को इसे एक अवसर के रूप में लेने की  आवश्यकता है, ऐसा करके ही हम एक बेहतर और संवेदनशील दुनिया का निर्माण कर सकते है. उन्होंने बच्चो एवं किशोरों के संदर्भ में स्पष्ट किया कि माता-पिता एवं शिक्षकों को इस समय उनके साथ तालमेल बनाते हुए उन्हें सामाजिक मूल्य, नैतिकता, सद्भाव एवं सह-अस्तित्व के प्रति सजग-जागरूक बनाने कि दिशा में काम करना चाहिए।

 

गुरुगोविंद सिंह विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की प्रो. सरोज शर्मा ने कोरोना संकट का शिक्षा क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव एवं प्रशासनिक स्तर पर शिक्षक-प्रशिक्षण विषय पर बोलते हुए स्पष्ट किया कि कोरोना ने मानवीय सभ्यता को उसके द्वारा किये गये अब तक के  कार्यों पर सोचने के लिए  विवश किया है,  आज प्रशिक्षण के साथ साथ विषय सामग्री कि पहचान एवं उसको बच्चो तक कैसे सहज और सरल तरीके से पहुंचाए इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है . एनसीईआरटी के सचिव मेजर हर्ष कुमार ने इस कोरोना संकट में विद्यालयी शिक्षा के संदर्भ में उनके संस्थान द्वारा किये जा रहे कार्यों के विषय में बतया और कहा कि सभी लोग उनके यहाँ कि ऑनलाइन सामग्री का उपयोग अपनी आवश्यकता के अनुसार कर  सकते है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत  सरकार कि वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पूर्णिमा त्रिपाठी नए केंद्र सरकार के इस मिशन के तहत किये जा रहे कार्यों के बारे विस्तृत चर्चा की और मध्यप्रदेश की मुख्य सचिव  श्रीमती रश्मि अरुण शमी एवं शिक्षा आयुक्त लोकेश कुमार जाटव एवं अतुल दनायक द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सागर विश्वविद्यालय के द्वारा किया जा रहा यह प्रयास अपने आप में अनूठा है और इसको लगातार किये जाने कि आवश्यकता है।

 इस वेबिनार में प्रतिभागियों ने ऑनलाइन फीडबैक के रूप में अपनी अपनी बात कही तथा वेबिनार के संबंध में अपने अनुभव साझा किए । वेबिनार समन्यवक डॉ. संजय शर्मा ने सभी वक्ताओं एवं डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के कुलपतियों, समस्त प्रतिभागियों एवं आयोजन समिति के सदस्यों का आभार माना।