तुम चले गए, ताकि हम ज़िंदा रह सकें 


केके उपाध्याय 

एक महामारी। सब पर भारी। बढ़ता लॉकडाउन। बढ़ती चिंताएं । सब कुछ बंद है । बाज़ार बंद । घूमना बंद । मेल-जोल बंद । मौल- तौल बंद । घर बंद है । क़ैद खाने बन गए हैं। कुछ परिवार साथ हैं। कुछ अलग अलग । कुछ ड्यूटी पर मुस्तैद हैं ? वे महीनों से घर नहीं गए हैं । कल इंदौर के एक अस्पताल में एक इंस्पेक्टर यशवंत पाल  ने कोरोना से दम तोड़ दिया । उज्जैन में उनकी पोस्टिंग थी । महीने भर से घर नहीं गए थे । बेटी से वीडियो कॉल पर आख़िरी बात की थी ...। बेटी ने कहा था पापा आप स्ट्रांग  हो ...! आपको आना ही होगा ...। पापा बस हाथ हिला रहे थे ..। वो बोल नहीं सकते थे । बीच में पत्नी बोली - “ हम सब इंतज़ार कर रहे हैं । आपको आना ही पड़ेगा । पाल दोनों को हाथ के इशारे से बुलाते रहे ...। नियति को कुछ और ही मंज़ूर था ...। फ़ोन डिस्कनेक्ट हो गया । साथ ही जीवन की डोर भी कट गई । अब यशवंत से  कभी बात नहीं हो सकेगी । इस कोरोना ने ऐसी न जाने कितनी जानें ली हैं। परिवार को जीवन भर का दर्द देकर यशवंत विदा हो गया । इससे पहले इंस्पेक्टर देवेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी भी ऐसे ही चले गए थे । शहीद हो गए थे । दो चार दिन परिवार को सब समझाएँगे । फिर परिवार अकेला हो जाएगा । सरकार सब सुविधाएँ देगी । यशवंत को और देवेन्द्र को वापस नहीं कर सकती । दोनों ही अब तस्वीर में है । फूल माला टंगी तस्वीर में । बस श्रद्धांजलि ही बची है । यह बहुत कठिन दौर है । हम पुलिस को हर वक्त गरियाते रहते हैं। सबसे आसान है यह कहना कि पुलिस वाला है भृष्ट है । सबसे कठिन है ड्यूटी निभाना । इनके काम के घंटे नहीं होते । परिवार के लिए समय नहीं होता । आँधी -पानी , तूफ़ान में भी ड्यूटी तो करना ही है । छुट्टियाँ बस नियमावली में है । छुट्टी मिलती नहीं है । इस समय लाखों की संख्या में पुलिस के जवान तैनात है । इन्हें कोरोना मरीज़ों को खोजना भी है । पकड़ना भी है । इनके पास डॉक्टरों जैसी किट नहीं है । न ही मॉस्क अच्छी क्वालिटी का । न ही इंकार है इनके पास। सबसे कठिन घड़ी इनकी है। हर वक्त पुलिस को गरियाने से पहले सोचें ये न होते तो कोरोना कहाँ होता ? इन्होंने लोगों को तलाशा है । इन्होंने भागते लोगों को पकड़ा है। वह भी बग़ैर किसी सुरक्षा कवच के। यह सच में मुठभेड़ कर रहे हैैं। एनकाउंटर चल रहा है । कोरोना से । महामारी से । अपनी जान भी दे रहे हैं । महज़ इसलिए कि आप हम ज़िंदा रह सकें । जय हिन्द ।