विदिशा। विदिशा जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर केएस अहिरवार प्राइवेट नर्सिंग होम्स को लिखे पत्र के मामले में लगातार गुमराह कर रहे हैं। वे नर्सिंग होम्स को लिखे पत्र की कापी "एमपी धमाका" को 10 दिन बाद भी उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। कलेक्टर डॉक्टर पंकज जैन के संज्ञान में होते हुए भी आदेश की कॉपी ना मिलना आश्चर्यजनक है।
याद रहे कि एमपी धमाका ने 10 दिन पूर्व सीएमएचओ को अवगत कराया था कि शहर के नर्सिंग होम्स और डॉक्टर कोरोना के डर से मरीजों का इलाज करने में आनाकानी कर रहे हैं। इस आशय का पत्र विधायक शशांक भार्गव ने कलेक्टर को लिखा है। इसके जवाब में सीएमएचओ डॉ अहिरवार का कहना था कि समस्त प्राइवेट नर्सिंग होम्स व डॉक्टरों को पत्र लिखकर इलाज करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। विधायक जी नर्सिंग होम्स के नाम बता दें तो उसका आजीवन के लिए लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। लेकिन सीएमएचओ आज तक उक्त पत्र की कॉपी उपलब्ध नहीं करा सके हैं। एमपी धमाका ने इस संबंध में सीएमएचओ के रवैये से कलेक्टर डॉक्टर पंकज जैन को तीन बार अवगत कराया बावजूद पत्र की कॉपी नहीं मिल सकी है।
"एमपी धमाका" ने 15 अप्रैल को पहली बार सीएमएचओ डॉ अहिरवार का ध्यान जब आकर्षित किया, तब उन्होंने कहा था कि प्राइवेट नर्सिंग होम संचालकों को पत्र लिख दिया है। "एमपी धमाका" ने उनसे पत्र की कॉपी मांगी तो उन्होंने किसी भी पास के नर्सिंग होम से कॉपी लेने की सलाह दी।
18 अप्रैल को "एमपी धमाका" ने फिर से सीएमएचओ डॉक्टर अहिरवार से प्राइवेट नर्सिंग होम्स को लिखे पत्र की कॉपी मांगी तो उन्होंने फिर टालमटोल कर दी।
आज जब हमने एक बार फिर सीएमएचओ से पत्र की कापी मांगी तो उन्होंने हर बार की तरह बात कार्यालय के बाबू प्रदीप राठौर पर टाल दी। जबकि इस बारे में एमपी धमाका कलेक्टर डॉक्टर पंकज जैन को तीन बार अवगत करा चुका है। फिर भी पत्र की कॉपी नहीं मिलना आश्चर्यजनक है। अंदाज लगाया जा सकता है कि कोरोना के दौर में स्वास्थ्य विभाग मरीजों के इलाज को लेकर कितना गंभीर है। इस मामले में या तो सीएमएचओ साहब झूठ बोल रहे हैं या वह पत्र की कॉपी देना नहीं चाहते पर क्यों?