पालघर (महाराष्ट्र) में जूना अखाड़े के 2 वृद्ध साधुओं सहित उनके ड्राईवर की पुलिस की मौजूदगी में लाठी, डंडों से पीट-पीटकर गुण्डों द्वारा की गई निर्मम हत्या आजादी के बाद देश की सबसे शर्मनाक घटना है। ऐसा अंग्रेजों के शासन में भी कभी नही हुआ। घटना का वीडियो देखकर तो यही लगता है कि यह सारा कृत्य पुलिस संरक्षण में हुआ। दृश्य देखकर मैं भी स्तब्ध हूॅ। यह बात मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कही।
उन्होंने कहा कि यदि महाराष्ट्र सरकार में थोड़ी भी लाज शर्म बाकी है तो सरकार को फास्ट्रेक कोर्ट में मामला चलाकर समयसीमा में घटना को अंजाम देने वाले दरिन्दों को फांसी दिलाई जानी चाहिये। मॉब लिंचिंग की घटना पर चीखने चिल्लाने ओर अवार्ड वापिस करने वाले कथित एक्टिविस्टों की इस संबंध में अब तक कोई प्रतिक्रिया न आना ओर भी शर्मनाक है।
मेरी मान्यता है कि जाति, धर्म या संप्रदाय कोई भी हो, ऐसी घटनाओं में तय समय सीमा में दोषियों को फांसी होनी चाहिये।
रामचरित मानस में उल्लेख है कि :-
"विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार॥"
जय श्री राम।।
विप्र- ब्राह्मण, तपस्वी, ज्ञानीजन
धेनु- गौमाता या गाय,
सुर- सज्जन, देवी-देवता
संत- साधु
प्रभु ने इन सब के हित के लिए ही मनुष्य रूप धारण किया था।
अर्थात इनका अपमान करना प्रभु का अपमान करना है। अतः इससे बचें।