बाबा केदारनाथ की शरण में रहकर साधना कर चुके हैं पीएम मोदी
उत्तराखंड। बाबा केदारनाथ के आज सुबह मंत्रोचार के बीच कपाट खोले गए। बाबा केदारनाथ की पहली पूजा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के लिए की गई। वहीं गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम में भी कपाट खुलने पर पहली पूजा मोदीजी के नाम से की गई। यमुनोत्री धाम में प्रथम पूजा के लिए मोदीजी के नाम से श्री यमुनोत्री मंदिर समिति यमुनोत्री धाम द्वारा 11 सौ रुपए की रसीद काटी गई। अक्षय तृतीया पर गंगोत्री धाम में भी प्रथम पूजा के लिए पीएम श्री मोदी के नाम से 11 सौ रुपए की रसीद काटी गई। 15 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने पर पहली पूजा पीएम श्री मोदी के नाम से ही होगी।
श्री केदारनाथ के कपाट खुलने के साथ ही चार धामों में से तीन धाम के कपाट खुल चुके हैं। श्री गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 26 अप्रैल को खुल चुके हैं, जबकि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे।
"एमपी धमाका" को मिली जानकारी के अनुसार केदारनाथ धाम में मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने कपाट खोलने की परंपरा का निर्वहन किया। श्री केदारनाथ मंदिर को कई कुंटल फूलों से सजाया गया था। बाबा की डोली ऊखीमठ से परंपरा अनुसार केदारनाथ लाई गई थी। केदारनाथ यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका है जब मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर परिसर पूरी तरह खाली रहा।
प्रधानमंत्री की बाबा केदारनाथ की भक्ति है जगजाहिर
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी बाबा केदारनाथ के बहुत बड़े भक्त माने जाते हैं। बताया जाता है कि 17 साल की उम्र में मोदीजी ने जब घर छोड़ा था तो उन्होंने बाबा केदारनाथ की शरण लेते हुए हिमालय को अपनी साधना स्थली बनाया था। हिमालय में मोदी जी लगभग 4 साल रहे और यहां गरुड़चट्टी समेत कई गुफाओं में साधना की। बाबा केदारनाथ से उनका प्रेम उन्हें यहां बार-बार खींच लाता है। प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री मोदी ने केदारनाथ के विकास के लिए परियोजना की आधारशिला भी रखी। वहीं उन्होंने एक रात केदारनाथ की गुफा में साधना भी की। 2013 में आई भयंकर बाढ़ ने इस इलाके को तहस-नहस कर डाला था। जिसकी देखरेख का जिम्मा मोदीजी ने अपने हाथों में लेते हुए उसे संवारने का बीड़ा उठाया।