अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता और अजर-अमर होने का वरदान माता सीताजी से पाकर श्री हनुमान जी महाराज अपने भक्तों का हर संकट दूर कर उनका जीवन खुशियों से भर देते हैं। कलयुग में बजरंगबली की उपासना सब मनोकामनाओं को पूरी करने वाली है। सुंदरकांड ऐसा चमत्कारी पाठ है जो हनुमान भक्त के जीवन को ना केवल सुंदर बनाता है बल्कि इससे असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
वैसे तो रामचरितमानस का प्रत्येक कांड महत्वपूर्ण है और श्रद्धालु राम भक्तों की कामनाओं को पूर्ण करने वाला है, लेकिन सुंदरकांड के अनुष्ठान का क्योंकि अन्य पुराणों में भी महत्व बताया गया है, इसलिए यह लोगों के बीच अधिक प्रचलित हो गया। पुराण में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि मांगलिक कार्यों में उसका पाठ करें।
इस कांड में ऐसा सुंदर क्या है? जिसके कारण से यह नाम दिया गया तो उसका उत्तर देते हुए कहा गया-सुंदर का अर्थ है खोई हुई बहुमूल्य वस्तु की प्राप्ति। इस प्रकार 'सीता' की प्राप्ति क्योंकि इसमें हुई, इसलिए यह सुंदरकांड है। इसके अलावा 'सुंदर' शब्द मंगलवाचक है। महालक्ष्मी सीता के चरित्र और स्वभाव की इस कांड में पराकाष्ठा देखने को मिलती है, इसलिए यह सुंदरकांड है। इस कांड में राम दूत श्रीहनुमानजी के चरित्र का सर्वोत्तम विकास है। वे दूत हैं, पुत्र हैं, योद्धा हैं, मित्र हैं, गुप्तचर हैं और इन सबसे बढ़कर ऐसे भक्त हैं जो अपने सारे दिव्य कर्मों को अपने प्रभु के श्री चरणों में समर्पित कर देते हैं। इस कांड में भक्त और भगवान दोनों का माहात्म्य उभर कर सामने आता है।
सुंदरकांड के पूरे कथानक को कुछ महापुरुषों ने जीवन की उस परम साधना के साथ जोड़ा है, जहां आत्मा की खोज करने के लिए जीव तत्पर होता है। आत्मा तक पहुंचने का मार्ग अत्यंत कठिन है। सद्गुरु द्वारा दिशा निर्देश दिए जाने के बाद भी साधक का मन संशय में डूबा रहता है। मार्ग में बाधाएं कई रूपों में आती हैं। साधक को इस बात की पहचान होनी चाहिए कि बाधा का स्वरूप क्या है। सत्व, रज और तम गुणों से कैसे निपटा जाए, इस युक्ति को जानने वाला ही विपत्तियों का लंघन कर पाता है। लक्ष्य प्राप्ति का दृढ़ संकल्प और उसके लिए उसके लिए सब कुछ कर गुजरने का पराक्रम ही साधक को साध्य की प्राप्ति कराता है।
'प्रबिसि नगर कीजे सब काजा, हृदय राखि कौशलपुर राजा' के रूप में लंकिनी ने मानो जीवन साधना का मंत्र बता दिया है। व्यवहार और अध्यात्म के समन्वय से ही इष्ट की प्राप्ति संभव है, यही संदेश है उसका।
नष्ट द्रव्य की प्राप्ति, विजय प्राप्ति, मंगल लाभ, भगवत भक्ति की वृद्धि, भगवान के दर्शन और हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए सुंदरकांड के अनुष्ठान का विधान है। जिससे असंभव भी संभव हो जाता है।
सुन्दरे सुन्दरो रामः सुन्दरे सुन्दरी कथा
सुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे सुन्दरं वनम्।
सुन्दरे सुन्दरं काव्यं सुन्दरे सुन्दरः कपिः
सुन्दरे सुन्दरं मन्त्रं सुन्दरे किं न सुन्दरम्॥
जय श्री राम
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