ईश्वर तिथि है अक्षय तृतीया, इस दिन दान, पुण्य, हवन, पूजन करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है

 

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया या आखा तृतीया अथवा आखा तीज कहते हैं। इस वर्ष अक्षय तृतीया का महापर्व 26 अप्रैल रविवार को मनाया जाएगा। अक्षय का अर्थ है जिसका कभी नाश( क्षय) न हो अथवा जो स्थायी रहे। स्थायी वही रह सकता है जो सर्वदा सत्य है सत्य केवल परमात्मा ईश्वर ही है जो अक्षय अखंड और सर्वव्यापक है। अक्षय तृतीया तिथि ईश्वर तिथि है।

धर्माधिकारी पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सभी कर्मों का फल अक्षय हो जाता है। इसलिए इसका नाम अक्षय पड़ा है। आज के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों अपनी उच्च राशि में होते हैं मन का कारक चंद्रमा और आत्मा का कारक सूर्य दोनों बलवान रहते हैं। इस कारण मन से किया गया दान पुण्य शुभ फलदाई होता है। भारतीय कालगणना के अनुसार चार स्वयं सिद्ध अभिजीत मुहूर्त हैं। चैत शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, दशहरा और दीपावली। अक्षय तृतीया पर स्वयं सिद्ध मुहूर्त रहता है। इस कारण सभी धार्मिक कार्य एवं खरीददारी करना शुभ होता है। तृतीया को परशुराम जी का जन्म होने के कारण परशुराम तिथि भी इसे कहते हैं चारों युगों मैं से त्रेता युग का आरंभ इसी तिथि को हुआ था इस कारण इसे युगादितिथि भी कहते हैं। अक्षय तृतीया के दिन हवन, पूजन, दान, पुण्य स्नान श्राद्ध करने  से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दिन कोई दूसरा मुहूर्त ना देख कर स्वयं सिद्ध अभिजित शुभ मुहूर्त के कारण विवाह एवं मांगलिक कार्य संपन्न किए जाते हैं।

अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे कलश पंखे चरण पादुका खड़ाऊ जूता छाता गो भूमि वस्त्र स्वर्ण दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन नए घड़े के ऊपर खरबूजा और आम्र पत्र रखकर पूजा की जाती है। अक्षय तृतीया बड़ी पवित्र और सुख सौभाग्य देने वाली तिथि है। इसी दिन गौरी की पूजा की जाती है। इसी दिन नर नारायण परशुराम और है। हयग्रीव का अवतार हुआ था इसलिए इनकी जयंती भी अक्षय तृतीया को मनाई जाती है। अक्षय तृतीया पर किया गया दान पुण्य भजन हवन तर्पण श्राद्ध स्नान आदि कर्मों का शुभ और अनंत फल मिलता है।