छपास का इनको लगा बड़ा भारी रोग




 

विदिशा। शहर के कतिपय लोगों को अखबार में छपने और सोशल मीडिया में दिखने का बड़ा भारी रोग लगा है। ऐसे लोग हर मंच पर अपना अलग-अलग किरदार अदा करते नजर आते हैं। बस छपने का और दिखने का मौका मिलना चाहिए। कहीं वे समाजसेवी हैं, तो कहीं बिजनेसमैन हैं तो कहीं कलमकार बनकर प्रकट हो जाते हैं और कहीं अधिकारियों में पैठ बनाने के लिए पार्टी के पदाधिकारी के रूप में अवतरित हो जाते हैं। 

कमाई नंबर एक की है या नंबर दो की है। वैध या अवैध है। इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। बस अधिकारियों के साथ मीडिया में फोटो व न्यूज़ दिखनी चाहिए। जिनके पास एक ही झटके में लाखों रुपए की अवैध कमाई आती हो उन्हें 10- 50 हजार रुपए किसी को दान देना भी पड़े तो क्या फर्क पड़ता है। और फिर यह दान वह बीज है जो इसी समाज रूपी खेत में लहलहा कर फिर ब्याज समेत रिटर्न हो जाता है। साल भर वाहवाही होती है सो अलग। अफसरों की चापलूसी करने का मौका भी मिलता है।

कोरोना महामारी के चलते नई चीजें देखने को मिल रही हैं। यह पहली बार पता चला कि अवैध काम करने वालों की एसोसिएशन भी होती है। विगत दिनों अखबारों में उक्त एसोसिएशन की खबरें छपीं और चर्चा का विषय रहीं। 

शेष अगले अंक में…….