दीपक तिवारी
विदिशा। कोरोना संक्रमण के कारण देश गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है और विदिशा जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर केएस अहिरवार प्राइवेट नर्सिंग होम्स को पत्र लिखने के मामले में अंधेरे में तीर चला रहे हैं। प्राइवेट नर्सिंग होम्स और क्लीनिक पर मरीजों का इलाज आवश्यक रूप से किए जाने का आदेश सीएमएचओ डॉ अहिरवार "एमपी धमाका" को 5 दिन बाद भी उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। जिस जिले में 13 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हों, उस जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया को अंधेरे में तीर चलाना शोभा नहीं देता।
शहर में आज भी कुछ डॉक्टरों ने अस्पताल व क्लीनिक बंद होने के बोर्ड लगा रखे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग का ध्यान इस ओर नहीं है। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मरीजों का इलाज आवश्यक रूप से करने के निर्देश देते हुए प्राइवेट नर्सिंग होम्स संचालक व प्राइवेट डॉक्टरों पर एस्मा के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
"एमपी धमाका" ने 15 अप्रैल को सीएमएचओ डॉ अहिरवार का ध्यान जब आकर्षित किया, तब उन्होंने कहा था कि प्राइवेट नर्सिंग होम संचालकों को पत्र लिख दिया है। "एमपी धमाका" ने उनसे पत्र की कॉपी मांगी तो उन्होंने किसी भी पास के नर्सिंग होम से कॉपी लेने की सलाह दी। जब हम स्वास्थ विभाग के आदेश की कॉपी लेने एक नर्सिंग होम पर पहुंचे तो वह बंद मिला।
18 अप्रैल को "एमपी धमाका" ने फिर से सीएमएचओ डॉक्टर अहिरवार से प्राइवेट नर्सिंग होम्स को लिखे पत्र की कॉपी मांगी तो उन्होंने फिर टालमटोल कर दी।
जबकि शहर के प्राइवेट नर्सिंग होम्स और डिस्पेंसरी संचालकों की कोरोना के डर से मरीजों का इलाज नहीं करने की रोज शिकायतें हो रही हैं।
लेकिन स्वास्थ्य विभाग का रवैया कोरोना जैसी गंभीर बीमारी के बावजूद गंभीर नहीं है।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर आरोप लगते हैं कि उसके संरक्षण में ही मरीजों को प्राइवेट नर्सिंग होम्स और पैथोलॉजी लैब द्वारा जमकर लूटा जाता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कमीशन खोरी में रंगे हुए हैं। इसलिए प्राइवेट नर्सिंग होम्स और पैथोलॉजी लैब के विरुद्ध होने वाली शिकायतों को गंभीरता से ना लेकर स्वास्थ्य विभाग रद्दी की टोकरी में फेंक देता है। अब तो जागिए स्वास्थ्य विभाग।