नासिक (दीपक तिवारी)।
प्राकृतिक सुंदरता की चादर ओढ़े नासिक जिला आध्यात्मिक प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। ये वो पावन भूमि है जिस पर वनवास के समय भगवान राम के पतितपावन चरण पड़े थे और उन्होंने गोदावरी नदी के राम घाट पर डुबकी लगाई थी। भगवान राम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के लगभग ढाई साल यहां बिताए थे।
सदियों से यहां की धरा को कुंभ नगरी कहलाने का गौरव हासिल है। नासिक के पास त्रियम्बक में भगवान शिव त्रियम्बकेश्वर के रूप में निवास करते हैं। यह स्थान काल सर्प दोष निवारण के लिए पूरी दुनिया मे मशहूर है।
नासिक शहर मुम्बई से लगभग 170 किमी और पुणे से 205 किमी दूर है। पुराणों के मुताबिक यह वह पुण्य धरा है जहां भगवान राम, सीता और लक्षमण के चरण पडे हैं। गोदावरी नदी के राम घाट पर भगवान राम स्नान करते थे।
अंगूर और सतंरों की पैदावार के कारण नासिक हिन्दुस्तान का सबसे बडा केन्द्र माना जाता है। यहां कई प्राचीन मंदिर और सुंदर घाट हैं।
बारह साल में चार बार लगने वाला कुंभ मेला यहां का मुख्य आकर्षण है।
नाशिक में कई दर्शनीय स्थल हैं-
पंचवटी, जहां से मां सीता का अपहरण हुआ था। काला राम मंदिर से आगे पंचवटी है। जहां पांच वटवृक्ष हैं। इसे पंचवटी कहा जाता है। दक्षिण भारत की गंगा नदी गोदावरी का उद्गम तो त्र्यंबक के पास है। किंतु श्रद्धालु नासिक में स्नान करते हैं।
रामकुंड, सीताकुंड, लक्ष्मणकुंड, धनुषकुंड यहां के प्रसिद्ध तीर्थ हैं। स्नान का मुख्य स्थान रामकुंड है। रामकुंड के पास दक्षिण में अस्थिविलय तीर्थ है, वहां मृतपुरुषों की अस्थियां डाली जाती हैं। रामकुंड के उत्तर में ही प्रयाग तीर्थ माना जाता है।
रामकुंड के पीछे सीताकुंड है। दक्षिण में दो मुखवाले हनुमान की प्रतिमा है और सामने हनुमान् कुंड है। पंचवटी में ही सीता गुफा है। इसके अलावा नासिक में भगवान श्रीराम के कई मंदिर हैं जैसे कालाराम, गोराराम, मुठे का राम, विशेषराम आदि। नासिक के आसपास कई दार्शनिक स्थल हैं। साभार